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Sent: Friday, December 25, 2009 8:18 AM
Subject: गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प
From: vjm na
To: vjmna@hotmail.comSent: Friday, December 25, 2009 8:18 AM
Subject: गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प
"एक पत्थर को तराशने से सुन्दर मूर्ति बन सकती है तो कर्मो के सहारे जिन्दगी को तराशने से बहुत सुन्दर स्वरुप बन सकता है। कर्म करने से पहले सोचें कि मेरे से कोई गलत कर्म न हो जाए। क्योंकि प्रकृति का नियम है कि कर्म-फल अवश्य भोगना पड़ता है और प्रकृति के नियम तुम बदल नहीं सकते । तुम्हारा गलत कर्म ही तुम्हारे लिए परेशानी पैदा करता है, इसलिए ऐसा कोई कर्म ना करो जो तुम्हें परेशानियों में डुबा दे और विपत्तियां तुम्हारे ऊपर मडराने लगें । ह्र्दय में परमात्मा का नाम लेते हुए कर्म करोगे तो गलत काम की सम्भावना नहीं रहेंगी ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
A Beautiful statue can be created by chiseling or moulding a stone. Similarly one's true and beautiful nature can be moulded by good deeds.
Think before doig any action to ensure that that action isn't wrong. Because it is the law of nature that with every action, there are concequences.
And one can not change the law of nature. Your wrong actions can create trouble for you. Do not indulge in such actions because they can cause you trouble or distress. By keeping God's name in our heart, we can avoid the possibility of doing wrong actions.
Translated by Humble Devotee
Praveen Verma
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