प्रकृति का नियम है कि हर कोई गतिमान है। चींटियों को देखिए। छोटी सी चीटी अँधेरे में भी दौड़ी चली आ रही है। अचानक आप लाइट जलाते है, देखकर आश्चर्य होता है कि अँधेरे में भी चीटियाँ दौड़ी चली जा रहीं है। शरीर से ज्यादा समान उठाकर जा रही होती है। छोटे से जीवन को भी पता है कि कर्म करते रहना है। खाली नहीं बैठना है। वस्तुतः जीवन गति का नाम है। कर्म करो पर सुव्यवस्थित होकर। शरीर की यात्रा तभी ठीक रहती है, जब कर्म से जुड़े रहते है। यदि कर्म से विमुख हो गये तो जीवन यात्रा ठीक से चलने वाली नहीं है।
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
It is the law of nature that everything is moving or active. Look at the ants - tiny ants keep running even in the dark. If you switch on the light all of a sudden, you will be amazed to see that they were running in the dark. They carry more weight than their body.That tiny body also realizes that they need to keep on doing action. No need to sit idle. Motion is life. Keep moving in a planned organized fashion. As long as we keep on doing action, our journey of life will run smooth. When we stop doing action then the journey of life will not run smoothly or properly.
Translated by Humble Devotee
Praveen Verma