(Started by mggarga on 6/10/2008)
हम हर साल बाहर रावण जलाते हें पर अपने अन्दर का रावण कभी नहीं जलाते वह बढता जाता हे कभी उसको भी जलादिया करो
परमपूज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश