(Started by mggarga on 6/10/2008)
हमारी जिन्दगी दो किनारों के बीच चलती हे ,कभी दुख कभी सुख ,कभी मान कभी अपमान , कभी लाभ कभी हानि ,संतुलन बना कर रहो और मन को शांत रखो !पूज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनाश
नेहा