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गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

इस वर्ष में आप कुछ नियम बना

इस वर्ष में आप कुछ नियम बनाएँ। उन नियमों में एक नियम यह भी कि किसी को फ़ूल न दे सकें मुस्कान तो हम जरूर देगें। किसी से बात करें तो बात की शुरुआत में मुस्कान पहले होनी चाहिए। हर बच्चे की सजावट उसकी मुस्कराहट है और इस दुनियाँ में हर फ़ूल की सजावट उसकी मुस्कराहट है। आपकी भी सजावट आपकी मुस्कराहट है तो अपनी मुस्कराहट को सजाइए। मुस्कराहट को लेकर घर से निकलिए, मुस्कराहट को लेकर घर में प्रवेश कीजिए। और देवताओं की आराधना करें तो मुस्करा कर करें और अपने गुरू को प्रणाम करें तो मुस्कान के साथ करें। अपने कर्मक्षेत्र में प्रवेश करें तो मुस्कराहट के साथ करें और जब अपने अन्न को देखें तो अन्न को भी मुस्कराकर देखिए। अपने घर भी जैसे पहली द्दर्ष्टि प्रवेश करते हुए डालते है तो मुस्कराहट की द्दर्ष्टि डालिए तो आप समझेंगे कि मनहूसियत निकलेगी और देवताओं की कृपा आपके घर में प्रवेश करेगी।

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज



Make some rules for your life this year. Among them, one should be that you share your smile with everyone. When you converse with someone, it should start with a smile. Every child's beauty can be found in his or her smile. In this world, every flower's beauty is its smile. Your beauty can be found in your smile as well. Leave home with a smile and when you return home, do so with a smile. And when you pray, do that with a smile. When you do the reverential salutation to the master, do that with a smile. Start your working day with a smile. Before eating, look at food with a smile. When you enter your home, the very first glance should be with a smile. Doing so will remove all the inauspiciousness and the grace of all divine beings will enter your home.



Translated by Humble Devotee
Praveen Verma