हरिओम
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आज का गुरु सन्देश 3 0 -8-13-अतिशय प्रेम क्या है ?
अतिशय प्रेम क्या है ?
१]जो कभी घटता नहीं बस बढता है !
२]वह प्रेम जिस मैं शिकायत न हो रूठना न हो !
३]जिस मैं पूनम के चाँद जैसी मुस्कराहट हो हर समय हंसी मजाक चलता रहे चाहे उम्र कितनी भी होजाए !
४]कभी पुराना न हो हर समय नवीन रहे !बासी न हो !
5 ] वह प्रेम जिस मैं भय न हो डर न हो !
6 ]रिश्तों के प्रेम को एक जगह जोड़ दें तो संजीवनी बन जायगा
ऐसे हे सब प्रेम भगवान् मैं जोड दो तो भक्ती बन जाएगा !
